Tuesday 17 May 2011




तुम्हारी कविता ....

तुम्हारी कविता ....
रवि कि रौशनी
आलोकित मुझे कर जाती है ,
तुम्हारी कविता ...
चंदा कि चांदनी
शीतल मुझे कर जाती है
तुम्हारी कविता .....
मदिर मे बजती मंगल ध्वनी,
पवित्र मुझे कर जाती है
तुम्हारी कविता ...
भावनाओ कि महक ,
सुगन्धित मुझे कर जाती है
तुम्हारी कविता ...
पछियों कि मधुर ध्वनी,
आनंदित मुझे कर जाती है .