मां गंगा..

कल,कल, छल,छल बहती रहती
सदियों से तुम जीवन देती
पाप पापियों के तुम धोती
जीवन दाता हे! मां गंगा।
भागीरथ प्रयास से हुई अवरित
धरती के संताप मिटाने
आर्यभूमि के कलुष मिटाकर
तुमने सारे कष्ट उबारे
निर्मल-निर्मल हे! मां गंगा।
तेरी पावस अविरल धारा
जीव जगत का बनी सहारा
तूने तटों पर अपने माता
अनेकों संस्कृतियों को पनपाया
तुम जीवन दर्शन हो सहारा
सदा से पावस हे मां गंगा।
तेरी निर्मल जल से ही
धुले पाप संताप सभी के
रहे स्वच्छ, निर्मल जल तुम्हारा
करते हैं संकल्प आज हम
तुमसे जीवन दाता मां गंगा।।

सदियों से तुम जीवन देती
पाप पापियों के तुम धोती
जीवन दाता हे! मां गंगा।
भागीरथ प्रयास से हुई अवरित
धरती के संताप मिटाने
आर्यभूमि के कलुष मिटाकर
तुमने सारे कष्ट उबारे
निर्मल-निर्मल हे! मां गंगा।
तेरी पावस अविरल धारा
जीव जगत का बनी सहारा
तूने तटों पर अपने माता
अनेकों संस्कृतियों को पनपाया
तुम जीवन दर्शन हो सहारा
सदा से पावस हे मां गंगा।
तेरी निर्मल जल से ही
धुले पाप संताप सभी के
रहे स्वच्छ, निर्मल जल तुम्हारा
करते हैं संकल्प आज हम
तुमसे जीवन दाता मां गंगा।।