
रिम-झिम, रिम-झिम मेघ सुहाने
बरखा की बूंदे हरसाती
धरती अम्बर गीत सुनाते
खेतों में हरियाली आती
नदियां पानी से भर जातीं
हरी भरी अब धरती दिखती
पानी से सब सिंचित करती।
खेत, पहाड़ो नालों से
पानी की जब धार बहाती
कल-कल करती ध्वनि उसकी
जीवन का संगीत है सुनाती।
Nadi ka sundar chitran..aajkal khoob bhari rahti hai to bahut hi achhi lagti hain...yaad taaji ho chali..
ReplyDeletejiwan sarita hi to hai....bahut sundar bhaw..
ReplyDelete