ये हमारा गढ़वांल।
देवों की तपोभूमि
पग-पग में देवालय
कण-कण में शिव
शिव मय सब शिवालय।
नदियों की पावन धारा
हवाओं की मधुररिमा
दिग दिगन्त में नाद
देवताओं का यहां वास।
सच अन्तस का छू जाता
हिवांल के देश की मधुरिमा
मेरे अन्तस में कहीं है गंगा
मैं भी तो उसी का अंश।।
Devbhumi ka sundar chitran kiya hai aapne. padhkar man ko bahut achha laga....
ReplyDeleteSaarthal prastuti ke liye aabhar!
Bahut sundar bhaw...
ReplyDeleteshiv hi sarvashwa hai...
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