Thursday 7 July 2011

                                                   
स्वर्ग भूमि है सच
ये हमारा गढ़वांल।
देवों की तपोभूमि
पग-पग में देवालय
कण-कण में शिव
शिव मय सब शिवालय।
नदियों की पावन धारा
हवाओं की मधुररिमा
दिग दिगन्त में नाद
देवताओं का  यहां वास।
सच अन्तस का छू जाता
हिवांल के देश की मधुरिमा
मेरे अन्तस में कहीं है गंगा
मैं भी तो उसी का अंश।।

3 comments:

  1. Devbhumi ka sundar chitran kiya hai aapne. padhkar man ko bahut achha laga....
    Saarthal prastuti ke liye aabhar!

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  2. shiv hi sarvashwa hai...

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