Monday 28 February 2011



नयी सुबह
 





आई सुबह हटा अँधेरा
 फैला सब ओर  उजियारा
पुष्प, कली पर ओस की बूँदें
स्पन्दन सा करने लगी हैं. 
नव अंकुर नव पल्लव देखो
प्रकृति  से बातें करने लगे हैं,
चिड़ियों का कलरव गुंजन
स्वागत बसंत का करने लगे हैं.
नभ नीला स्फूर्ति ओज्वसित
जीवन का नव सन्देश सुनाता
नव सृजन नव पल्लव अगणित
नई सुबह जीवन 
की 
सुहावनी |


1 comment:

  1. साहिल, रेत, समुन्दर, लेहरे, बस्ती,
    जंगल, सेहरा, खुशबू,मौसम, फूल,

    दरीचे, बादल, सूरज, चान्द, सितारे,
    आज यह् सब् कुछः नाम तुम्हारे !

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