Wednesday 23 March 2011




वो लड़की 





वो लड़की....
भोली सी
उलझी सी,
सुरमई आँखों में
उसकी सपने हैं
उर में
संगीत है
बातों मे उसकी
खिलते हुए फूल,
पैरों में
रुनझुन पैजन,
हाथों में
सपनों की रंगत,
अधरों में
प्यार के गीत,
मन में
वीणा की झंकार
दर्द से उसका
रिश्ता पुराना,
दुनियां को
उसने ना जाना,
गुमसुम रहती
दुःख सहती,
हँसते हँसते
जो रो देती,
जगते जगते
सो देती,
अनमोल निधि
खो देती.
अंतस मे
रस घोलती
उसकी बातें
उस जैसी सच्ची
आज भी मुझे
याद आती है
वो लड़की....
सच बहुत ही
याद आती है
वो लड़की....
ऐसी क्यों थी.......

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