Wednesday 23 March 2011

तुम्हारा प्यार..



तुम्हारा प्यार..
जीवन का सहारा
तूफ़ा मे किनारा
तुम्हारा प्यार...

भावों की सौगात
उम्र भर का साथ
तुम्हारा प्यारं...

आज कल परसों
मन मे फूली सरसों
तुम्हारा प्यार...

धरा कि नर्म घास
स्पदन का अहसास
तुम्हारा प्यार..

सर्दी कि गुनगुनी धूप
स्नेह प्रेम का रूप
तुम्हारा प्यार ...

हरे वृछ की पाती
जले दिए कि बाती
तुम्हारा प्यार ...

कभी लगता ज्योति
कभी लगता  मोती,
तुम्हारा प्यार ...

चूड़ियों की खनक ,
बिंदिया की चमक
तुम्हारा प्यार...

हाथो मे लगी मेहँदी मे
अंखियों मे लगे काजल मे
तुम्हारा प्यार...

उदासी मे आसुओं के बीच
विस्वास की कौंधती तस्वीर
तुम्हारा प्यार....

4 comments:

  1. Bahut sudnar Bhawa Anita ji.... Prem ki Anubhuti ko bahut hi sahi aur jajbaton ki mala me pirodiya apne... bahut hi sundar rachna.. Sadhuwad.

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  2. तुम्हे हर खुशियाँ उस जहाँ की मिलेंगी,
    खुदा ने महफिल सजाई आपके लिए.!

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  4. बहुत सुन्दर कविता। प्रेम-प्यार का आभास दिलाती।

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