
मैं सोचती हूं
बड़ी होकर मैं भी
खूब पढ़ लिखकर
कुछ नाम करूं.
चूल्हा चौका से
आगे बढ़कर
जग में अपना
परचम लहराऊं.
जानती हो माँ
तुमने हमारे लिए
अपना कल आज
और कल गँवा कर
हमारा लालन पालन
घर परिवार के लिए
पल पल गवां दिया
तुमने अपने लिए एक
पल भी अपना जीवन
नहीं जिया.
तुमने तो हमारी खातिर
अपने सपनों को खोया
हम में अपने सपने देखे
अब मैं तुम्हारे हर
सपने को पूरा करुँगी
खूब पढूंगी और माँ
अपने नाम के साथ
तुम्हारा नाम भी ऊँचा करुँगी|