फूल वाली लड़की..
फूल लेकर उनको सहेजती
किसी को कली बना रखती।
फूल ले लो..... फूल ले लो......
दिनभर आवाज़ लगाती..........
सड़क, चौराहे पर गाड़ियों के
पीछे भागती वो लड़की
लोगों को खुशी के पल,
भेंट के लिए फूल बेचती
अपनी खातिर दो जून की
रोटी इनसे जुटाती वो लड़की।
उसे क्या मतलब इनकी महक से
इनकी चमक से और
इनकी रंगत से उसे तो बस
रोटी का जरिया हैं ये फूल
उसके जीवन में जब कभी
वसंत ही नही आया तो
क्या जाने फूलों का रंग उनकी सुगध..?
उसके लिए तो यह फुटपाथ
उसका घर, संसार यहीं जन्मी
रोटी के लिए लड़ती, झगड़ती
और यहीं कहीं दौड़ते दौड़ते
एकदिन खो जायेगी...वो फूल वाली लड़की।
Nice poem
ReplyDelete"अपने खातिर दो जून की,
ReplyDeleteरोटी इनसे जुटाती वो लडकी"
बहुत ही मार्मिक कविता है यह अनिता जी !
badi hi sangdil hai jindagi
ReplyDeleteinke li to tangdil hai jindagi....sachchaai pesh kari ek skshakt kavita.......badhaiyaan