प्यारी सी चिड़िया ...
एक प्यारी सी नटखट सी चंचल सी चिड़िया, न जाने कहाँ से आई ये चिड़िया!.
न कोई ठिकाना न संगी न साथी
फिर भी बेफिक्री में जीती ये चिड़िया,
गीत गुनगुनाती, ये गाती है चिड़िया.
घरोदे से उड़कर दाने को जाती
दिनभर यूँ उड़ती है, बेफिक्र रहती
उड़ना नियति उसकी घरोंदा है मंजिल
दिनभर उड़कर ये दाना जो लाती
ये सी न्यारी चिड़िया, ये प्यारी सी चिड़िया.
चिड़िया सिखाती हमको भी जीना
हर हाल में सबसे मिलकर के रहना
कितना भी रूठे अपनों से हम
फिर भी तो घरबार मंजिल है अपनी,
देती संदेशा ये प्यारी सी चिड़िया.
जाने कहाँ से आई ये चिड़िया
देखो तो इसको समझो तो इसको
न कोई लालच न कोई भण्डार
फिकर आज की ना, न चिंता है कल की
जीती अभी में ये प्यारी सी चिड़िया.
इसे छोड़ जाना है, ये घर ये घरोंदा
अपनों की खातिर ये खपती ये चिड़िया
हर हल में खुश रहो, कहती ये चिड़िया
जीवन है चलना सिखाती है चिड़िया,
कितनी है भोली है ये प्यारी सी चिड़िया.
ज़िन्दगी का सही अर्थों में है सन्देश "चिड़िया का",
ReplyDeleteदिल को छू गई आपकी कविता में लिखी यह पंक्तियां !