बौर खिली अरू अमियां आई
कोयल सुन्दर गीत सुनाती
सबके मन को है अति भाती।
चहुं दिश फूल खिले हैं न्यारे
धरती अम्बर लगते प्यारे
नदिया गाती पर्वत गाते
वन उपवन सबको हर्षाते।
खेतों में गेहूं की बाली
बगिया को सींचे है माली
वैशाखी के गीत सुनाकर
फसल काटते है मतवाले।
रंग बिरंगी अपनी धरती
भांति-भांति के पुष्प् निराले
बोली-भाषा रीति भिन्न है
लेकिन फिर भी एक हैं सारे।। ...)
sundar prakriti chitran.....mohak ritu varnan....waah..
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