Thursday 21 April 2011

                                                            तुम बहुत याद आये...




आज घर गयी ..
तो पापा तुम बहुत याद आये
सच बहुत याद आये ...
तुम्हारी कमी का हुआ आज आभास
कैसे किया करते थे मुझसे बातें,
तुम्हारी किताबें और तस्वीरे
याद बनकर रह गयी पास मेरे ,
आज तुम बहुत याद आये
सच बहुत याद आये ....
पापा तुम्हारी आवाज़ और चेहरा
अब स्वप्न का सा अहसास
धीरे धीरे रह गए तुम
अब काल्पनिक सत्य
मेरे अंतर्मन में,
तुमने जन्म दिया और पाला
बताया सदा सत्य बोलना
कष्टों को हंस हंस सहना
तुमने सदा ही सिखाया
आज तुम बहुत याद आये
सच बहुत याद आये ....
कैसे अपने प्रेम रुपी कवच से
घर को सुरछित रखा था
आज उन स्मृतियों को
संजोये रहती हूँ
पापा तुम्हारा बड़ा दिल
और छोटा गुस्सा
आज भी याद आता है
जब उदास होती हूँ तो
न जाने कहाँ से
आ जाते हो तुम पास मेरे
तुम आज तुम बहुत याद आये
सच बहुत याद आये ....

3 comments:

  1. Apno ki Yadin aur unke sath betaya pal hi unke jane ke baad hamara sambal aur unki smrit bankar sada sath rahata hain.. yahai jiwan ha. Duniya ke chakar ke hisab se sabko chal na padta ha..Maa Pita ji ka aur apno ka Ashirwad bana rahe ise kamna ke sath bahut sundar Anubhuti...

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  2. GREATTTTTTTTTTT........
    Really......so nice
    aapse jyada ese or kon samaj sakta hai.
    apki yeh kavita pad ke me emotional ho gaya hu.
    thankssssssss

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